कुंडली के द्वादश भाव में गुरु का प्रभाव

कुंडली के द्वादश भाव में गुरु का प्रभाव


1)कुंडली के द्वादश भाव में गुरु का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम गुरु और द्वादश भाव के कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।


2) गुरु को धर्म का कारक ग्रह माना गया है अतः द्वादश भाव में स्थित गुरु जातक को धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्ति बनाता है। यदि गुरु द्वादश भाव में पीड़ित हो तब जातक का धर्म का नाश हो सकता है, जिसके फलस्वरूप जातक धर्म का अपमान करने को उत्सुक होगा जातक धार्मिक क्रियाकलापों का विरोध या क्रिटिसाइज करेगा।


3) गुरु को संतान का कारक ग्रह माना गया है अतः द्वादश भाव में स्थित गुरु जातक को संतान से संबंधित समस्या दे सकता है। जातक को संतान उत्पत्ति में देरी या समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जातक को अपने संतान से सुख में कमी का सामना करना पड़ेगा। जातक के संतान को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है। कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि जातक अपने संतान के कारण या संतान की कामना के कारण तनाव में रह सकता है।


4) गुरु को नैतिक शिक्षा देने वाला ग्रह माना जाता है और गुरु कुंडली में द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक अनैतिक प्रवृत्ति का हो सकता है। जातक गलत संगत में रह सकता है या गलत कार्यों में लिप्त रह सकता है। जातक का स्वभाव अच्छा नहीं होगा। जातक गाली गलौज या अपशब्द करने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक कपटी या धोखेबाज प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, जातक के स्वभाव में बदलाव आता जाएगा और वह उत्तम स्वभाव की ओर अग्रसर होगा। यदि गुरु द्वादश भाव में उत्तम स्थिति में हो तब बुरे प्रभाव नगण्य होंगे।


5) जातक धन से संबंधित समस्या का सामना करेगा, क्योंकि गुरु को धन का कारक ग्रह माना जाता है और द्वादश भाव में स्थित गुरु जातक के धन का नाश कर सकता है। जातक धन मानसिक तनाव का सामना करना पड़ेगा। जातक खर्चीला प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है जिसके कारण वह बहुत ज्यादा धन संचित करने में सक्षम नहीं होगा।


6) गुरु भाग्य का कारक ग्रह है और द्वादश भाव में स्थित होने के कारण जातक अपने भाग्य का व्यय का सामना करना पड़ेगा। मतलब जातक खुद को मिलने वाले अवसर को अपने फायदे के लिए उपयोग नहीं कर सकेगा।


7) द्वादश भाव में स्थित गुरु जातक को कामुक प्रवृत्ति का व्यक्ति बनाता है जातक की योन इच्छा अत्यधिक होगी। जातक दूसरों की सेवा करने का उत्सुक होगा।

8) यदि द्वादश भाव में स्थित गुरु उत्तम अवस्था में हो और तब जातक अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्ति का होगा। जातक धर्म-कर्म पर अपने धन का खर्च करेगा। जातक अध्यात्म और धर्म का संबंध स्थापित करके, अध्यात्मिक जीवन में उत्तम सफलता प्राप्त करेगा।

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