कुंडली के द्वितीय भाव में शनि का प्रभाव

कुंडली के द्वितीय भाव में शनि का प्रभाव

1) कुंडली के द्वितीय भाव में शनि का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम शनि और द्वितीय भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) द्वितीय भाव में स्थित शनि के कारण जातक रुखा वचन बोलने वाला व्यक्ति हो सकता है। शनि भेद नीति का कारक है, अतः जातक अपनी वाणी के द्वारा विवाद या दूसरों का क्रिटिसाइज करने में वाला हो सकता है। जातक का यह आचरण जातक को परेशानी में या विवादों में डालने वाला हो सकता है।

3) शनि की दृष्टि नीच प्रवृत्ति की होती है, शनि शुद्र वर्ण का और वायु तत्व का ग्रह है। अतः द्वितीय भाव में स्थित शनि के कारण जातक बेशर्म, बेवजह के विवाद करने वाला तथा पकड़ स्वभाव का व्यक्ति होता है। द्वितीय भाव में स्थित शनि के कारण जातक को मुख से संबंधित समस्या हो सकती है। जातक असामाजिक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। यदि द्वितीय भाव में स्थित शनि अपनी उच्च राशि या स्वयं की राशि में हों तब बुरे प्रभाव कम होते हैं।

4) द्वितीय भाव में स्थित शनि यदि अपने उसकी राशि या मूल त्रिकोण राशि या उनकी राशि में हो तब जातक आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक हो सकता है। अन्यथा द्वितिय भाव में स्थित शनि जातक के लिए शुभ नहीं माना जाता है। जातक कुरूप, रूखे नाखून वाला, अपनी उम्र से उम्र दराज दिखने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक की आंखों में समस्या हो सकती है। जातक के दांत असमान हो सकते हैं।

5) द्वितीय भाव में स्थित शनि के कारण जातक कड़ी मेहनत से धन कमाता है। जातक को जीवन के प्रारंभिक चरण में असफलता का सामना करना पड़ सकता है। बाद में जातक को सफलता मिलती है। 35 साल के बाद जातक की आर्थिक स्थिति अच्छी हो सकती है।

6) द्वितीय भाव में स्थित शनि के कारण जातक को अपने धन का नुकसान उठाना पड़ सकता है। जातक को सरकार के द्वारा हानि की संभावना रहती है। जातक को टेक्स से रिलेटेड समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जातक लग्जरी लाइफस्टाइल पसंद करने वाला व्यक्ति हो सकता है।

7) शनि को दुर्भाग्य का कारक ग्रह माना जाता है। द्वितीय भाव में स्थित शनि के कारण जातक को मिलने वाले अवसर कम हो जाते हैं, या जातक अपने फायदे के अवसरों का लाभ नहीं उठा पाता है। जातक अपने जन्म स्थान से दूर चला जाता है।

8) शनि धातु का कारक ग्रह है। द्वितीय भाव में स्थित शनि जातक को धातु से या माइनिंग से लाभ दिलाता है। द्वितीय भाव में शनि के कारण जातक कमजोर तबके के व्यक्ति की सहायता से धन कमा सकता है।

9) द्वितीय भाव में स्थित शनि परिवार के लिए अच्छा नहीं होता है। जातक को पारिवारिक सुख कम मिलता है। जातक उदास प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। जातक के परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव या विवाद हो सकता है। यदि द्वितीय भाव में स्थित शनि अपनी मूलत्रिकोण और उसकी राशि में हो तब जातक का परिवार प्रसिद्ध और आदरणीय होगा।

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