कुंडली में धूम का विभिन्न भावों में प्रभाव

कुंडली में धूम का विभिन्न भावों में प्रभाव

धूम, व्यतिपात, इंद्रचांपा, परिवेश और उपकेतु, यह पांच अप्रकाशित ग्रह है। पराशर मुनि ने अप्रकाशित ग्रहों की महत्ता इस प्रकार बताइए कि हमें सूर्यादि प्रकाशक ग्रह के प्रभाव जाने से पहले हमें अप्रकाशक ग्रहों की फल के संदर्भ में जानकारी लेनी चाहिए। तब इनका मिलान प्रकाशक ग्रहों के साथ किया जाना चाहिए। इससे स्पष्ट है कि अप्रकाशित ग्रह स्थिर और स्थाई प्रभाव वाले फल जातक की कुंडली में देते हैं। सर्वप्रथम हम धूम के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।

ऐसा माना जाता है कि धूम, धूमकेतु या पुच्छल तारा का अग्र भाग होता है। फलदीपिका के अनुसार धूम एक धुंधला तारा जैसा पदार्थ होता है। जबकि पराशर ऋषि ने धूम को महा दोष बताया है। पराशर ऋषि के अनुसार धूम जिस भाव में बैठेगा उस भाव के सारे कर्मों का नाश धूम के द्वारा होता है। इससे स्पष्ट है कि धूम एक पापी ग्रह के समान कार्य करता है और उस भाव का नाश करता है जहां पर वह विराजित होता है। लेकिन जब पराशर ऋषि ने धूम के 12 भाव में प्रभाव बताएं हैं तब इसके कुछ भावों में शुभ फल भी बताएं हैं। हम हमेशा नकारात्मक सोच ना रखते हुए भाव के हिसाब से धूम के फल को जानेंगे। लेकिन सामान्यतः हम कह सकते हैं कि धूम जिस भाव में बैठेगा उस भाव से संबंधित पल का नाश करेगा। कुंडली में धूम की स्थिति जानने के लिए आप जगन्नाथ होरा जैसे उन्नत ज्योतिष के सॉफ्टवेयर की मदद ले सकते हैं। आइए हम कुंडली के बारह भाव में धूम का प्रभाव जानते हैं।

कुंडली के विभिन्न भावों में धूम का प्रभाव

1)जातक की कुंडली के प्रथम भाव में स्थित धूम जातक को बहादुर और निर्मित व्यक्ति बनाता है जातक की आंखें जातक के विनम्र होने का संकेत देगी लेकिन जातक अड़ियल और भीतर से टेढ़ा हो सकता है। जातक उग्र स्वभाव का व्यक्ति हो सकता है।

2) द्वितीय भाव में स्थित धूम के कारण जातक रोग से पीड़ित हो सकता है। जातक के शरीर में किसी प्रकार का अंग भंग हो सकता है। जातक धनी हो सकता है। लेकिन जातक को राजा या प्रशासन के द्वारा मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। जातक मूर्ख हो सकता है। और उसकी संतान उत्पत्ति की क्षमता कम हो सकती है।

3) तृतीय भाव में स्थित धूम के कारण जातक बहादुर और धनी व्यक्ति होता है। जातक दयालु प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक बुद्धिमान होता है। जातक संवाद में मधुर होता है।

4) चतुर्थ भाव में स्थित धूम के कारण जातक को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। जातक के सुख में कमी होता है। जातक को वैवाहिक जीवन में या यौन संबंधों में तनाव का अनुभव करना पड़ता है। जातक शास्त्र में निपुण होगा और शास्त्रों के प्रति दार्शनिक विचार रखने वाला व्यक्ति होगा।

5) पंचम भाव में स्थित धूम के कारण जातक को संतान सुख में परेशानी का सामना करना पड़ता है। जातक को संतान उत्पत्ति में समस्या हो सकती है। जातक के धन का नाश हो सकता है। जातक बहुत ज्यादा खाने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक के शरीर के अंग मोटे होंगे। जातक को मंत्रों की अच्छी समझ नहीं होगी। जातक अपने दोस्तों के सुख से वंचित रह सकता है।

6) षष्टम भाव में स्थित धूम के कारण जातक अपने शत्रु का विनाश करता है। जातक प्रसिद्ध होगा और गुणवान होगा। जातक रोगों से मुक्तजीवन या निरोगी जीवन व्यतीत करेगा।

7) सप्तम भाव में स्थित धूम जातक को कामुक प्रवृत्ति का बनाता है। जातक दूसरों की स्त्री पर नजर रखने वाला और उनको अपने जाल में फंसाने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक के चेहरे पर रौनक नहीं होगी। जातक गरीबी का सामना करेगा या जातक की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होगी।

8) अष्टम भाव में स्थित धूम के कारण जातक क्रूर और स्वार्थी प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में सोचने वाला व्यक्ति होता है। जाकर निर्भीक नहीं होता है। वह किसी भी कार्य को करने के लिए बेवजह का उत्साह दिखाता है। सच्चाई के कारण हमेशा परेशानी में पड़ जाता है। वह किसी भी व्यक्ति का प्यारा नहीं होता है।

9) नवम भाव में स्थित धूम के कारण जातक भाग्यशाली होता है। जातक को संतान का उत्तम सुख प्राप्त होता है। जातक धनी और प्रसिद्ध व्यक्ति होता है। जातक धार्मिक और दान शील प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक सबका प्यारा सम्मानित और दयालु स्वभाव का व्यक्ति होगा।

10) दशम भाव में स्थित धूम के कारण जातक को उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। जातक को संतान से उत्तम सुख प्राप्त होता है। जातक भाग्यशाली होता है। जातक को संतोष की प्राप्ति होती है। जातक चतुर होता है। जातक को उत्तम सुख को प्राप्त होता है। जातक सच्चाई पर चलने वाला व्यक्ति होता है।

11) एकादश भाव में स्थित धूम जातक को धनी और समृद्ध व्यक्ति बनाता है। जातक सोना और दूसरे जेवरातों का अच्छा संग्रह करेगा। जातक की उत्तम प्रोफेशनल लाइफ होगी। जातक आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक होगा। जातक को संगीत और संगीत के समान अन्य कला में इंटरेस्ट होगा और अच्छा ज्ञान भी रखेगा।

12) द्वादश भाव में स्थित धूम जातक को पापी और दुष्ट बनाएगा। जातक नीच कार्यों में लिप्त होगा। जातक दूसरों की औरतों की ओर झुकाव रखने वाला व्यक्ति होगा। जातक क्रूर और प्रपंची होगा। जातक शराब का सेवन करने वाला व्यक्ति हो सकता है।

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