कुंडली के विभिन्न भागों में इंद्र चांपा का प्रभाव

कुंडली के विभिन्न भागों में इंद्र चांपा का प्रभाव

इंद्र चांपा या इंद्रधनुष या चांपा का परिचय एवं विभिन्न भागों में प्रभाव

इंद्रचापा, इंद्रधनुष या चापा के नाम से भी जाना जाता है। फलदीपिका के अनुसार बारिश के मौसम में दिखाई देने वाला प्रसिद्ध इंद्रधनुष कि इंद्रचापा या चापा है। कुंडली के जिस भाग में इंद्रचापा हो उस भाग से संबंधित कारक को पत्थर के द्वारा या शस्त्र के द्वारा घायल होने की संभावना बनी रहती है।
कुंडली में धूमम के विपरीत दिशा में इंद्रचापा अवस्थित होता है। यानी अगर कुंडली में यदि प्रथम भाव में स्थित हो तब इंद्र चांपा सप्तम भाव में अवस्थित होगा।

कुंडली के विभिन्न भागों में इंद्र चांपा का प्रभाव

1) कुंडली के प्रथम भाव में इंद्र चांपा के कारण जातक धनी और समृद्ध होता है। जातक सोने चांदी और अन्य मूल्यवान धातु का स्वामी होता है। वह अपने किए गए कार्यों के लिए हमेशा सम्मान प्राप्त करेगा। जातक उत्तम सोच का स्वामी होता है। जातक में किसी भी प्रकार के अवगुण नहीं होते हैं।

2)कुंडली के द्वितीय भाव में अवस्थित इंद्र चांपा के कारण जातक मधुर वचन बोलने वाला होता है। जातक उत्तम आचरण करता है। जातक धनी होता है। वह उत्तम ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करता है। जातक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी होता है। वह हमेशा सच्चाई के प्रति अडिग रहता है। जातक उत्तम स्वभाव वाला व्यक्ति होगा।

3)कुंडली के तृतीय भाव में इंद्र चांपा के कारण जातक कंजूस प्रवृत्ति का होता है। जातक को सभी प्रकार के शास्त्र का उत्तम ज्ञान होगा। जातक चोरी जैसे कार्यों की ओर आकर्षित होगा। जातक शारीरिक रूप से अक्षम हो सकता है। वह अपने मित्रों और रिश्तेदारों का सुख नहीं प्राप्त करेगा।

4)कुंडली के चतुर्थ भाव में चापा के प्रभाव के कारण जातक सुखी होता है। जातक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों का आनंद प्राप्त होता है, जैसे वाहन गाय भोजन मित्रों का सुख इत्यादि। जातक राजपरिवार द्वारा सम्मान प्राप्त करता है। जातक रोग मुक्त जीवन व्यतीत करता है।

5) कुंडली के पंचम भाव में इंद्र चांपा का प्रभाव के कारण जातक आनंद पूर्ण मस्तिष्क वाला होता है जातक दार्शनिक विचारों का होता है और भविष्य के प्रति आशावान होता है।जातक धार्मिक विचारों का होता है और भगवान के प्रति उसकी गहरी आस्था होती है। जातक मधुर वचन बोलने वाला होता है। वह अपनी सारे कार्यों में सफलता और नित्य नई ऊंचाइयां प्राप्त करता है।

6)कुंडली के छठे भाव में इंद्र चांपा के कारण जातक अपने सारे शत्रु का विनाश कर देता है और वह अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करता है। जातक कपट पूर्ण और छल पूर्ण व्यवहार करने वाला व्यक्ति होता है। लेकिन वह सुखी होता है। वह लोगों को अपना उत्तम और प्यारा सा स्वाभव दिखाता है। जातक अपने सारे कार्य में सफलता प्राप्त करता है।

7) कुंडली के सप्तम भाव में इंद्र चांपा के कारण जातक बहुत ज्यादा शक्तिशाली व्यक्ति होता है। वह बहादुर और शौर्य वन होता है। जातक को सारे प्रकार के शास्त्रों का उत्तम ज्ञान प्राप्त होता है। जातक धार्मिक प्रवृत्ति का और सभी का प्रिय होता है।

8) कुंडली के अष्टम भाव में इंद्र चांपा के प्रभाव के कारण जातक दूसरों का कार्य करने वाला व्यक्ति होता है। जातक दूसरों के अधीन हो सकता है। जातक क्रूर प्रवृत्ति का होता है। जातक दूसरों की औरतों में रुचि रखने वाला व्यक्ति होता है। जातक शारीरिक रूप से अंग-भंग से पीड़ित हो सकता है।

9) कुंडली के नवम भाव में इंद्र चांपा के प्रभाव के कारण जातक प्रसिद्ध व्यक्ति होता है। जातक एक धार्मिक गुरु के समान ज्ञान देने वाला और सम्मान प्राप्त करने वाला व्यक्ति होता है। जातक को बहुत ही गहरी नॉलेज होगी।

10) कुंडली के दशम भाव में इंद्र चांपा के प्रभाव के कारण जातक को अनेक संताने होती है। जातक धनी होता है। जातक को सभी प्रकार के धन का सुख प्राप्त होता है। जातक लोगों के बीच बहुत ज्यादा प्रसिद्ध व्यक्ति हो सकता है।

11) कुंडली के एकादश भाव में इंद्र चांपा के प्रभाव के कारण जातक को सभी प्रकार का लाभ प्राप्त होता ।है जातक रोग मुक्त होता है। जातक गर्म मिजाज का व्यक्ति हो सकता है। जातक स्त्री के त्रियाचरित्र से अच्छी तरह वाकिफ होता है। जातक शस्त्रों का उत्तम ज्ञान रखने वाला व्यक्ति होता है।

12) कुंडली के द्वादश भाव में इंद्र चांपा के प्रभाव के कारण जातक नीच बुद्धि का, अहंकार में भरा हुआ, चिड़चिड़ा स्वाभाव, बेशर्म और दूसरों की औरत पर नजर रखने वाला व्यक्ति होता है। जातक गरीबी से पीड़ित रहता है।

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