गुलिक का परिचय और गुलिक के द्वादश भावों के फल

गुलिक का परिचय और गुलिक के द्वादश भावों के फल

गुलिक शनि का उपग्रह है। इसे शनि के समान ही पापी ग्रह या पापी उपग्रह माना जाता है। पराशर मत के अनुसार गुलिक और मांदी एक है। ज्योतिष के प्रसिद्ध पुस्तक फलदीपिका के अनुसार गुलिक बहुत ही पापी उपग्रह है। गुलिक जिस राशि में या जिस ग्रह के साथ होता है उसके नैसर्गिक गुणों का नाश करता है।

  • गुलिक यदि सूर्य के साथ होता है तो यह पिता के लिए हानिकारक होता है।
  • यदि चंद्रमा के साथ हो तो माता के लिए हानिकारक होता है ।
  • यदि मंगल के साथ हो तो भाइयों के लिए हानिकारक होता है ।
  • बुध के साथ हो तो बंधु बांधव और रिश्तेदारों को हानि पहुंचाता है यह उनसे संबंध खराब करता है ।
  • गुरु के साथ हो तो बच्चों के लिए अच्छा नहीं होता है, साथ ही जातक का बुद्धिमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
  • शुक्र के साथ हो तो जातक की पत्नी के लिए हानिकारक होता है ।
  • यदि शनि के साथ हो तो खतरनाक बीमारी या लंबी चलने वाली बीमारी या आयु को नुकसान पहुंचा सकता है ।
  • राहु के साथ हो तो भूत प्रेत विष इत्यादि से खतरा हो सकता है ।
  • केतु के साथ हो तो अग्नि से या एक्सीडेंट वगैरह का कारक हो सकता है।
  • यदि गुलिक प्रतिकूल नक्षत्र या गंडात नक्षत्र में हो तो जातक संपूर्ण जीवन परेशानियों से धिरा रह सकता है।

आइए अब हम गुलिक के द्वादश भाव में फलों के बारे में जानते हैं।

1)यदि गुलिक प्रथम भाव में हो तो जातक रोगी हो सकता है। वह कामुक प्रवृत्ति का हो सकता है । वह कपटी या छली नेचर का हो सकता है। उसका स्वभाव अनुचित और रुखा हो सकता है। वह मध्यम कद का हो सकता है। उसको आंखों से संबंधित समस्या से परेशानी हो सकता है। वह कम बुद्धिमता वाला हो सकता है। उग्र और अड़ियल स्वभाव का हो सकता है । वह डरपोक प्रवृत्ति का हो सकता है और हमेशा दुख का सामना करना पड़ सकता है।

2)यदि गुलिक द्वितीय भाव में हो तो जातक झगड़ालू प्रवृत्ति का और उसकी बोली में रूखापन हो सकता है । वह धन और भोजन का अभाव झेल सकता है । वह अपनी परिवार और प्रिय जनों से दूर रह सकता है । उसको व्यवहारिक ज्ञान कम हो सकता है । वह शब्दों के अर्थ को अच्छे से नहीं जाने वाला हो सकता है वह व्यर्थ के विवाद को उत्पन्न कर सकता है वह बेशर्म प्रवृत्ति का हो सकता है अपनी बोली या वचनों के कारण दुख का सामना कर सकता है । यहां पर गुलिक मारक हो सकता है और उसके शारीरिक अंगों में विकृति हो सकती है।

3)गुलिक यदि तृतीय भाव में हो तो जातक आकर्षक व्यक्तित्व का हो सकता है। अपने ग्राम का या सोसाइटी का प्रधान हो सकता है। वह धार्मिक प्रवृत्ति का व्यक्ति होगा, सज्जनों का प्रिय होगा, राजा के द्वारा सम्मान पाएगा, स्वाभिमानी होगा और उसके पास सभी प्रकार के सुख के साधन होंगे। वह बहादुर होगा और धन को प्राप्त करने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करेगा और धन प्राप्ति के लिए व्यग्र होगा। उसका स्वभाव थोड़ा गर्म मिजाज का हो सकता है। उसे अपनी पत्नी के साथ अलगाव का सामना करना पड़ सकता है। अपने भाइयों से भी अलगाव का सामना कर सकता है। लेकिन वह बहुत ही बहादुर होगा और उसको किसी भी प्रकार का कोई डर नहीं होगा।

4)गुलिक यदि चतुर्थ भाव में हो तो जातक सभी प्रकार के सुखों से वंचित रह सकता है। वाहन सुख, मित्रता रिश्तेदारों से संबंध इन सब मामलों में उसको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वह मानसिक समस्या से पूरी तरह सकता है और कफ और वात संबंधी समस्या से परेशान रह सकता है। वह उदास प्रवृत्ति का हो सकता है और आसानी से अवसाद में चला जा सकता है।

5)गुलिक यदि पंचम भाव में हो तो जातक अल्पायु हो सकता है। वह अशांत चित्त का हो सकता है।अपनी चतुराई को वह बुरे कार्यों में इस्तेमाल कर सकता है । वह गरीब और ईष्यालू प्रवृत्ति का हो सकता है। संतान संबंधी समस्या का सामना कर सकता है। स्त्री के द्वारा पराजित हो सकता है और उसकी आस्था दुष्ट प्रवृत्ति के देवताओं में हो सकती है।

6)गुलिक यदि षष्टम भाव में हो तो जातक अपनी शत्रुओ का नाश करता है। वह भूत प्रेत इत्यादि को अपने वश में करके अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकता है। वह बहादुर और अच्छी संतान का पिता हो सकता है।वह अच्छी काया वाला, अच्छी धन वाला और स्त्री के द्वारा आदर प्राप्त करने वाला व्यक्ति हो सकता है।उसके चेहरे पर नैसर्गिक चमक हो सकती है और अच्छी मानसिकता वाला लेकिन वह अड़ियल स्वभाव का हो सकता है।

7)गुलिक यदि सप्तम भाव में हो तो जातक कामुक प्रवृत्ति का और स्त्री के वश में रहने वाला हो सकता है।उसके बहू-संबंध या बहु विवाह या आज के परिपेक्ष में विवाहोत्तर संबंध हो सकते हैं। वह झगड़ालू या अनैतिक कार्यों को करने वाला हो सकता है। वह दुबला पतला शारीरिक बनावट वाला हो सकता है। उसे मित्रता का सुख नहीं होगा। वह दूसरों की मदद नहीं प्राप्त कर पाएगा, दूसरों का क्रिटिसाइजर हो सकता है। उसके पास अल्प ज्ञान होगा और उसका कोई स्वाभिमान नहीं होगा। वह अपनी पत्नी के धन पर जीवनयापन करेगा।

8)गुलिक यदि अष्टम भाव में हो तो जातक मुंह के या आंखों के समस्या से पीड़ित तरह सकता है । उसकी लंबाई कम होगी और वह भूख की समस्या से पीड़ित रह सकता है। वह क्रूर प्रवृत्ति का होगा और उग्र स्वभाव का हो सकता है। उसमें किसी भी प्रकार का उत्तम गुण ना के बराबर होगा।

9)गुलिक नवम भाव में हो तो जातक अपने गुरु और संतान के सुख से वंचित रह सकता है। वह नाना प्रकार के दुखों का सामना कर सकता है। वह दुबला पतला हो सकता है और अनैतिक कर्मों में लिप्त हो सकता है। वह मूर्ख और चुगलखोर प्रवृत्ति का हो सकता है। वह दिखावा करने वाला और अपने आप को सज्जन पुरुष साबित करने की कोशिश करने वाला व्यक्ति हो सकता है।

10)गुलिक यदि दशम भाव में हो तो जातक को शारीरिक सुख और सांसारिक सुख प्रदान करेगा। वह भगवान में विश्वास करने वाला और उनकी आराधना करने वाला होगा। वह मानसिक साधना के द्वारा अपने मन पर काबू प्राप्त कर सकता है। लेकिन सामाजिक कार्य और भलाई के कार्य से दूर रह सकता है।

11)गुलिक एकादश भाव में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों को और धन को देने वाला होता है। उसे संतान सुख की प्राप्ति होगी। वह प्रसिद्ध और चमत्कारिक व्यक्तित्व का मालिक हो सकता है। उसकी पत्नी अच्छी होगी। समाज का प्रमुख व्यक्ति हो सकता है और सभी प्रकार के पद और पावर को प्राप्त कर सकता है।

12)गुलिक द्वादश भाव में जातक को शारीरिक सुख में कमी दे सकता है। उसे नाना प्रकार के व्यय का सामना करना पड़ सकता है। वह नीच प्रवृत्ति के कार्यों में लिप्त हो सकता है या अपना जीवन यापन कर सकता है । उसे शारीरिक अपंगता या आलस्य का सामना करना पड़ सकता है। निम्न कोटि के लोगों से दोस्ती रख सकता है या मित्रता रख सकता है।

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