कुंडली के सप्तम भाव में लग्नेश का प्रभाव

कुंडली के सप्तम भाव में लग्नेश का प्रभाव

1)कुंडली के सप्तम भाव में लग्नेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम सप्तम भाव और लग्नेश के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) सप्तम भाव अन्य के साथ जातक की संबंध के बारे में जानकारी देता है। यदि लग्नेश सप्तम भाव में स्थित हो तब जातक अंतर्मुखी स्वभाव का और आप में मगन रहने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक खुद की बढ़ाई करने में लगा रहता है या अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना पसंद होता है। जातक हमेशा अपने आप में ही बिजी रहता है। जातक दूसरों की भावना की कद्र नहीं करता है। जातक दूसरों की सलाह की अनदेखी करता है। कभी-कभी जातक अकेला रहना भी पसंद करता है। लग्नेश सप्तम भाव में सन्यास योग का भी कारक हो सकता है या जातक सांसारिक मोह माया का परित्याग करने वाला हो सकता है।

3) सप्तम भाव में स्थित लग्नेश जातक को स्वतंत्र विचार वाला व्यक्ति बनाता है। जातक को अपनी स्वतंत्रता हद से ज्यादा प्यारी होती है। जातक यह कभी बर्दाश्त नहीं करता है कि दूसरा व्यक्ति जातक पर अपने विचार को थोप दे।

4) लग्नेश सप्तम भाव में स्थित हो तब जातक अपने जान पहचान या नजदीकी रिश्तेदारी में या पारिवारिक संबंध में शादी करता है।

5) लग्नेश सप्तम भाव में हो तब जातक की वैवाहिक जीवन परेशानियों से भरी हो सकती है। जातक और जातक की पत्नी के बीच ईगो या अहम का टकराव बहुत ज्यादा हो सकता है, जिसके कारण जातक और जातक की पत्नी के मध्य लड़ाई झगड़े और विवाद हो सकते हैं। जातक अपने पत्नी के माता पिता या ससुराल के द्वारा नियंत्रित हो सकता है।

6) सप्तम भाव मारक स्थान भी होता है। लग्नेश सप्तम भाव में पीड़ित हो तब जातक की पत्नी के स्वास्थ्य के लिए यह शुभ नहीं माना जाता है। यदि लग्नेश पापी ग्रह के प्रभाव में हो तब पत्नी की मृत्यु की भी संभावना बन सकती है जातक की एक से अधिक संबंध हो सकते हैं।

7) सप्तम भाव सामाजिक प्रसिद्धि पर भी प्रभाव डालता है। सप्तम भाव में स्थित लग्नेश जातक को अच्छी सामाजिक प्रसिद्धि देता है। जातक लोगों के मध्य एक जाना पहचाना नाम हो सकता है।

8) लग्नेश जातक की जन्म स्थान से संबंधित होता है। अतः सप्तम भाव जातक के जन्म स्थान से बहुत दूर या विदेश से संबंधित हो सकता है। अतः लग्नेश सप्तम भाव में स्थित हो तब जातक की बहुत ज्यादा यात्राएं हो सकती है। जातक अपने जन्म स्थान से दूर स्थित स्थान पर निवास कर सकता है। जातक की विदेश यात्राएं हो सकती है। यदि सप्तम भाव में चर राशि हो तब जातक अपने जन्म स्थान से बहुत दूर यात्रा करेगा। लेकिन यदि सप्तम भाव में स्थिर राशि हो तब जातक मध्यम दूरी या नजदीकी स्थान पर यात्रा करेगा। यदि सप्तम भाव में द्वि स्वभाव की राशि हो तब जातक विदेश यात्रा को जा सकता है। सप्तम भाव में स्थित लग्नेश यदि दूसरे यात्राओं के भाव से संबंध बनाए जैसे तृतीय भाव, नवम भाव, द्वादश भाव तब जातक की विदेश यात्रा की संभावना बहुत ज्यादा होती है। जातक विदेश में निवास भी कर सकता है।

9) सप्तम भाव मारक स्थान है। यदि लग्नेश सप्तम भाव में बहुत ज्यादा पीड़ित हो तब जातक को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है।

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