कुंडली के दशम भाव में लग्नेश का प्रभाव

कुंडली के दशम भाव में लग्नेश का प्रभाव

1)कुंडली के दशम भाव में लग्नेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम प्रथम भाव और दशम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे।

2)लग्नेश दशम भाव में शुभ माना जाता है, क्योंकि यदि लग्नेश दशम भाव में स्थित हो तब यह यह लग्न को नैसर्गिक बल प्रदान करता है। काल पुरुष की कुंडली में लग्नेश मंगल दशम भाव में उच्च का होता है। यह भी एक कारण है कि लग्नेश दशम भाव में अत्यंत शुभ माना जाता है। जातक नैसर्गिक रूप से भाग्यशाली व्यक्ति होगा। जातक अपने जीवन में सफलता को प्राप्त करेगा।

3) दशम भाव कर्म स्थान है। यदि लग्नेश दशम भाव में स्थित हो तब ऐसा माना जाता है कि जातक को इस जन्म में पिछले जन्म के पेंडिंग कर्म का निपटारा करना होगा। अतः जातक का यह जीवन बहुत सारे घटनाओं से भरपूर हो सकता है। जातक भाग्यशाली होगा और जातक को भाग्य के कारण सफलता भी प्राप्त होगी। लेकिन जातक को अपने भाग्य को प्राप्त करने के लिए खुद की क्षमता या लालसा दिखानी पड़ेगी। जातक स्वाभिमानी व्यक्ति हो सकता है। जातक दूसरों का गैर जरूरी मदद स्वीकार नहीं करता है या अगर हम साधारण भाषा में बोले तो हम कह सकते हैं कि जातक स्वतंत्र प्रवृत्ति का व्यक्ति होगा।

4) दशम भाव सामाजिक सम्मान का भी कारक भाव है। यदि लग्नेश दशम भाव में स्थित हो तब जातक समाज में एक माननीय व्यक्ति हो सकता है। जातक आकर्षक रूप और व्यक्तित्व का व्यक्ति होगा। जातक का सामाजिक आचरण अच्छा होगा। जातक को उत्तम नाम और प्रसिद्धि प्राप्त होगी।

5) दशम भाव राज्य का कारक भाव होता है और दशम भाव जातक के राज्य या प्रशासन या सरकार से संबंधों को भी दर्शाता है। अतः दशम भाव में स्थित लग्नेश के कारण जातक को राज्य प्रशासन या सरकार से लाभ प्राप्त होता है। जातक को प्रशासन का सहयोग प्राप्त होता है। जातक के उच्च अधिकारियों या प्रशासनिक व्यक्तियों से अच्छे संबंध होते हैं। जातक के कुंडली में अच्छे योग हो तब जातक प्रशासक मंत्री या किसी पावरफुल संस्था का प्रमुख व्यक्ति हो सकता है।

6) दशम भाव में स्थित लग्नेश जातक को पुत्र संतान की प्राप्ति कराता है। हमारे समाज में यह मान्यता है कि यदि जातक को मृत्यु बाद क्रिया कर्म करनी हो तब उसे एक पुत्र संतान की आवश्यकता होती है। क्योंकि दशम भाव हमारा कर्म स्थान है, अतः लग्नेश दशम भाव में उत्तम स्थिति में हो तब ऐसा माना जाता है कि जातक को कम से कम एक संतान तो अवश्य होगा जो जातक की क्रिया कर्म को करेगा।

7) लग्नेश दशम भाव में स्थित हो तो जातक का स्वास्थ्य उत्तम होता है। जातक की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी उत्तम होती है।

8) दशम भाव में स्थित लग्नेश अपनी सप्तम दृष्टि से चतुर्थ भाव पर भी प्रभाव डालेगा। अतः लग्नेश दशम भाव में स्थित होकर जातक को उत्तम सांसारिक सुख सुविधा प्रदान करेगा। जातक को अपने माता-पिता का सुख प्राप्त होगा। जातक विद्वान व्यक्ति होगा। जातक उसी प्रकार की शिक्षा प्राप्त करेगा जो जातक को प्रोफेशन में सहायता प्राप्त करेगी। जातक अपने ज्ञान के बदौलत नए-नए अनुसंधान करने की ओर झुकाव रखने वाला व्यक्ति होगा।

9) दशम भाव में स्थित लग्नेश के कारण जातक की संसार के प्रति भौतिकवाद वादी रुझान होगा। क्योंकि दशम भाव एक अर्थ त्रिकोण भी है अतः जातक सांसारिक सुख सुविधा के और अत्यधिक झुकाव रखने वाला व्यक्ति हो सकता है।

10)दशम भाव में स्थित लग्नेश के कारण जातक के अपने पिता से उत्तम संबंध होंगे। जातक के पिता को जातक के जन्म के बाद उत्तम सफलता प्राप्त होगी।

11)लग्नेश दशम भाव में दशमेश के साथ स्थित हो तब यह एक उत्तम राजयोग बनाता है। जातक को अपने जीवन और प्रोफेशनल लाइफ में उत्तम सफलता प्राप्त होगी। जातक अपने व्यापार में उत्तम लाभ अर्जित करेगा। जातक एक मजबूत प्रशासनिक क्षमता वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक के संबंध उच्च प्रशासनिक अधिकारी, सरकार के पावरफुल व्यक्तियों से हो सकता है। जातक का अपने समाज में उत्तम प्रतिष्ठा होगी। जातक राजनीति में झुकाव रखने वाला व्यक्ति होगा और अपनी राजनीतिक पहुंच के बदौलत उत्तम लाभ अर्जित करेगा।

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