कुंडली के छठे भाव में तृतीयेश का प्रभाव

कुंडली के छठे भाव में तृतीयेश का प्रभाव

1) कुंडली के छठे भाव में तृतीयेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम छठे भाव और तृतीय भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। तृतीय भाव का स्वामी स्वयं के भाव से चतुर्थ भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का चतुर्थ भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) तृतीय भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक का अपने भाइयों से विवाद हो सकता है। जातक अपने भाई से ही कंपटीशन करने में लगा रह सकता है। यदि तृतीय भाव का स्वामी छठे भाव में अशुभ स्थिति में हो तब जातक के भाइयों के साथ जातक की शत्रुता की हद तक विवाद हो सकता है। छठा भाव कानूनी मामलों से भी संबंधित होता है। अतः छठे भाव में स्थित तृतीयेश जातक के भाइयों के साथ संपत्ति में भी विवाद दे सकता है।

3) तृतीय भाव साहस से संबंधित होता है। छठे भाव भय से संबंधित होता है। यदि छठे भाव में स्थित तृतीयेश बली हो और शुभ स्थिति में हो, तब जातक बहादुर होता है निडर होता है और उसको किसी भी व्यक्ति से है नहीं होता है। जातक अपनी शत्रु को बुरी तरह कुचल देता है, खासकर यदि तृतीय नैसर्गिक पापी ग्रह हो तब।
यदि तृतीय भाव का स्वामी छठे भाव में पीड़ित हो और शुभ स्थिति में ना हो, तब जातक डरपोक होता है और उसके शत्रु उसे परेशान करते हैं। जातक के शत्रु जातक के लिए परेशानी के सबक बन जाते हैं।
चाहे कोई भी परिस्थिति, लेकिन जातक का जीवन संघर्ष पूर्ण होता है और जातक को अपने क्षमता और साहस के दम पर के जीवन में आने वाले संघर्षों से दो चार होना पड़ता है। जातक के शत्रु भी जातक से भय खाते हैं।

4) छठा भाव अर्थ त्रिकोण होता है, तीसरा भाव साहस और क्षमता से संबंधित होता है। तृतीय भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तो जातक अपनी क्षमता और ताकत की बदौलत धन अर्जित करता है। शुभ स्थिति में स्थित तृतीयेश जातक को धनी और समृद्ध बनाता है। यदि यह युति योग कारण ग्रहों से भी संबंध स्थापित करें तब, जातक की प्रसिद्धि अच्छी होती है। यदि तृतीयेश छठे भाव में शुभ स्थिति में ना हो और पीड़ित हो तब जातक को धन अर्जित करने के लिए बहुत ज्यादा कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।

5) छठा भाव अनैतिक कार्यों से संबंधित होता है। तृतीय भाव छठे भाव से दशम स्थान है। अतः छठे भाव में स्थित तृतीयेश जातक को अनैतिक कार्यों से धन अर्जित करने के योग बनाता है।

6) तृतीय भाव संवाद का कारक भाव है। छठा भाव लॉजिकल एबिलिटी का कारक भाव है। छठे भाव में स्थित तृतीय भाव का स्वामी जातक को उत्तम लॉजिकल एबिलिटी देता है। जातक तर्क वितर्क करने में माहिर हो सकता है। यदि तृतीयेश शुभ स्थिति में ना हो तब जातक झगड़ालू स्वभाव का भी हो सकता है।

7) तृतीय भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक वकील, जज या किसी प्रशासनिक पद पर स्थित व्यक्ति हो सकता है। जातक संवाद कुशल होगा। यदि चार्ट में योग हो तब जातक अच्छा संगीतकार या डांसर हो सकता है।

8) तृतीय भाव का स्वामी शारीरिक क्षमता से संबंधित होता है। छठा भाव का मानसिक क्षमता संबंधित है। तृतीय भाव का स्वामी छठे भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक एक अच्छा खिलाड़ी, नृत्यकार इत्यादि हो सकता है।

9) छठा भाव युद्ध से संबंधित होता है। तृतीय भाव साहस से संबंधित होता है। यदि तृतीय भाव का स्वामी छठा भाव में हो तब जातक पुलिस या सेना में काम कर सकता है। जातक के भाई के भी पुलिस फोर्स या सेना में काम करने के योग बन सकते हैं। जातक या जातक का भाई डॉक्टर भी हो सकता है।

10) छठा भाव रोग से संबंधित होता है। तृतीय भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक रोग से पीड़ित हो सकता है। तृतीय भाव कान, हाथ, गला से संबंधित होता है। जातक कान, हाथ, गले से संबंधित रोग से पीड़ित तरह सकता है। जातक के भाई का स्वास्थ्य भी कमजोर हो सकता है।

11) छठा भाव अनैतिक कार्यों से संबंधित होता है। तीसरा भाग काम त्रिकोण है। छठे भाव में स्थित तृतीयेश जातक को अपने कामवासना को तृप्त करने के लिए अनैतिक कार्यो में लिप्त करा सकता है।

12) यदि छठे भाव में तृतीयेश षष्ठेश के साथ स्थित हो और शुभ स्थिति में हो, तब जातक अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करता है। जातक सेना में या पुलिस में कार्य कर सकता है। जातक एक अच्छा खिलाड़ी या कलाकार हो सकता है। जातक अपने मामा के द्वारा धन प्राप्त कर सकता है। यदि अशुभ स्थिति में हो और पीड़ित हो सब जातक के भाई जातक के साथ शत्रु जैसा व्यवहार कर सकते हैं। जातक को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या रह सकती है। जातक छल का सामना करेगा या फ्रॉड होगा।

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