कुंडली के अष्टम भाव में पंचमेश का प्रभाव

कुंडली के अष्टम भाव में पंचमेश का प्रभाव

1) कुंडली के अष्टम भाव में पंचमेश का प्रभाव जानने के लिए हम सर्वप्रथम पंचम भाव और अष्टम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। पंचम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से चतुर्थ भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का चतुर्थ भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) अष्टम भाव कुंडली का सबसे अशुभ भाव माना जाता है। अष्टम भाव कुंडली में वर्तमान जीवन के बुरे कर्मों को दर्शाता है। पंचम भाव कुंडली में पिछले जन्म के पुण्य कर्मों को दर्शाता है। यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब यह जातक के लिए शुभ नहीं माना जा सकता है।

3) पंचम भाव संतान से संबंधित होता है। अष्टम भाव त्रिक भाव और दु:स्थान है। यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब यह संतान के लिए अरिष्ट कारक हो सकता है। जातक के संतान को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है। जातक को संतान प्राप्ति में विलंब हो सकता है। यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में बुरी तरह पीड़ित हो तब जातक की संतान की मृत्यु की भी संभावना बन सकती है। यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक की संतान को सभी प्रकार के सुख सुविधा प्राप्त होते हैं। जातक की संतान धनी और समृद्ध होते हैं। लेकिन जातक और जातक की संतान के मध्य मतभेद हो सकता है।

4) पंचम भाव मानसिकता से संबंधित होता है। अष्टम भाव नैसर्गिक रूप से वृश्चिक राशि से संबंधित होता है, जो कि खतरनाक राशि मानी जाती है, साथ ही बदला लेने वाली, गुप्त चीजों को समेटने वाली राशि मानी जाती है। यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक बदला लेना को आतुर होता है। जातक ईष्यालु स्वाभाव वाला व्यक्ति होता है। जातक स्वभाव से चिड़चिड़ा हो सकता है। जातक के विचार खतरनाक हो सकते हैं। जातक छल कपट में माहिर हो सकता है। जातक कृतघ्न हो सकता है। जातक हिंसक और अड़ियल प्रवृत्ति का हो सकते हैं। जातक अपने कार्यों से स्वयं का नुकसान कर लेता है।

5) पंचम भाव धर्म स्थान है। अष्टम भाव मोक्ष स्थान है। यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक धार्मिक और आध्यात्मिक विचारों वाला व्यक्ति होता है। जातक अध्यात्म और हीलिंग में अधिक झुकाव रखता है। पंचम भाव मंत्र शक्ति से संबंधित होता है। अष्टम भाव परावैज्ञानिक शास्त्रों से संबंधित होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में हो तब जातक परावैज्ञानिक विषयों में ज्ञान प्राप्त करेगा। यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में पीड़ित हो तब जातक अपने ज्ञान का गलत उपयोग करेगा और लोगों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करेगा। जातक छल कपट में निपुण हो सकता है।

6)पंचम भाव पिछले जन्म के पुण्य कर्मों से संबंधित होता, जिसकी बदौलत जातक इस जीवन में आसानी से सफलता प्राप्त कर सकता है। लेकिन पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो, तब जातक को अपने जीवन में संघर्ष करना पड़ता है और विभिन्न प्रकार के परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जातक को अपने जीवन में आसानी से सफलता नहीं प्राप्त होती है।

7) यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक गैंबलर प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। जातक के जीवन में अचानक से बहुत सारे घटना घटित होते रहते हैं। जातक को अपने जीवन में कई प्रकार के लाभ और हानि का सामना करना पड़ सकता है। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य B.V. रमन सर ने कहा है कि यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित तब जातक के जीवन में विभिन्न प्रकार के परेशानियां हो सकती है, लेकिन जातक गरीब नहीं होता।

8) यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक अपने पैतृक संपत्ति को अपने कर्जे के कारण नुकसान उठा सकता है। जातक को परिस्थिति समझने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है और जिसके कारण कई बार वह गलत निर्णय ले लेता है। जातक अपनी जिम्मेदारी को अच्छे से नहीं निभाता है।

9) यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में हो तब जातक मानसिक तनाव का सामना कर सकता है। जातक के मन में शांति नहीं होती है। जातक को फेफड़ों या हृदय से संबंधित समस्या हो सकती है। जातक पेट से संबंधित समस्या से पीड़ित रह सकता है।

10) यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव के स्वामी के साथ अष्टम भाव में स्थित हो, तब यह शुभ नहीं माना जाता है। यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में पीड़ित हो तब यह जातक के संतान के लिए शुभ नहीं माना जाएगा। जातक को संतान से संबंधित समस्या हो सकती है या जातक के संतान की मृत्यु हो सकती है। जातक के पारिवारिक जीवन में परेशानी हो सकती है। जातक को सरकार से या प्रशासन से या अपने बॉस से या अथॉरिटी से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जातक अपने प्रोफेशनल लाइफ में भी परेशानी का सामना करता है। जातक के पिता से मतभेद हो सकते हैं। जातक अपने फैमिली से घृणा कर सकता है।
यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक आध्यात्मिक पर व्यक्ति हो सकता है। जातक को गुप्त विद्या की प्राप्ति होती है और जातक पारावैज्ञानिक विषयों में भी अच्छी जानकारी रख सकता है। जातक तांत्रिक हो सकता है। जातक गुप्त विद्या पर रिसर्च कर सकता है। जातक को अपने गुप्त ज्ञान और रिसर्च वर्क के बदौलत अच्छे नाम और हेम प्राप्त होता है।

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