कुंडली के छठे भाव में षष्ठेश का प्रभाव

कुंडली के छठे भाव में षष्ठेश का प्रभाव

1)कुंडली के छठे भाव में षष्ठेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम छठे भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। छठा भाव का स्वामी स्वयं के भाव से प्रथम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का प्रथम भाव क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे। जब छठा भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित तब यह कुंडली में विपरीत राजयोग बनाता है।

2) छठा भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब यह छठे भाव की नैसर्गिक कारकत्व को बल देता है। अतः छठे भाव के स्वामी का छठा भाव में फल जानने से पहले हमें लग्नेश और लग्न का भी बलाबल देखना चाहिए। यदि कुंडली में लग्नेश और लग्न बली छठे भाव से बली हो तब जातक को उत्तम फल प्राप्त होते हैं। परंतु यदि लग्नेश या लग्न छठा भाव से कमजोर हो तब यह जातक के लिए शुभ नहीं माना जाता है।

3) छठा भाव रोग कारक भाव होता है। यदि छठा भाव का स्वामी छठा भाव में स्थित हो तब छठे भाव के शुभ फल में वृद्धि होती है। सामान्यतः हम कह सकते हैं कि जातक रोग मुक्त जीवन व्यतीत करेगा। जातक के रोगों से लड़ने की अंदरूनी क्षमता बहुत ही अच्छी होगी। जातक शारीरिक और मानसिक रूप से बलि होगा। यदि लग्नेश कुंडली में पीड़ित हो तब जातक को उत्तम शारीरिक बल की प्राप्ति नहीं होगी। जातक शारीरिक रूप से कमजोर हो सकता है। जातक विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रसित रह सकता है।

4) छठा भाव मानसिक क्षमता और भय से संबंधित होता है। जब छठे भाव का स्वामी छठा भाव में स्थित हो तब जातक मानसिक रूप से मजबूत होता है। जातक निडर और निर्भीक प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक किसी भी व्यक्ति से भयभीत नहीं होता है।

5) छठा भाव विवाद, लड़ाई – झगड़े, तर्क – वितर्क इत्यादि से संबंधित होता है। छठा भाव का स्वामी छठा भाव में स्थित हो तो तब जातक नैसर्गिक रूप से फाइटर प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक तर्कशक्ति उत्तम होती है। जातक प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त करता है। जातक अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करता है। जातक अपने शत्रु को बुरी तरह से कुचल देता है। जातक पुलिस फोर्स या आर्मी में कार्य कर सकता है, खासकर तब जब छठा भाव का स्वामी मंगल से संबंध स्थापित करते हैं। लेकिन यदि कुंडली में लग्नेश कमजोर हो तो उपरोक्त फल प्राप्त नहीं होते हैं।

6) छठा भाव मामा से संबंधित होता है। यदि छठा भाव का स्वामी छठा भाव में स्थित हो तब जातक के मामा प्रसिद्ध और धनी होते हैं। यह जातक के मामा के लिए शुभ माना जाता है। जातक को अपने मामा से लाभ की प्राप्ति होती है। लेकिन साथ ही जातक के अपने अन्य रिश्तेदारों से शत्रुता हो सकती है।

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