कुंडली के नवम भाव मे षष्ठेश का प्रभाव

कुंडली के नवम भाव मे षष्ठेश का प्रभाव

1) कुंडली के नवम भाव में षष्ठेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम नवम भाव और षष्टम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। छठा भाव का स्वामी स्वयं के भाव से चतुर्थ भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का चतुर्थ भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) छठा भाव और नवम भाव एक दूसरे से चतुर्थ और दशम भाव के संबंध बनाते हैं। चतुर्थ और दशम भाव का संबंध उत्तम माना जाता है। परंतु छठा भाव एक दु:स्थान होता है। अतः नवम भाव जैसे पवित्र और शुभ भाव में दु:स्थान के स्वामी का विराजमान होना उत्तम नहीं माना जाएगा।

3)नवम भाव पिता से संबंधित होता है। यदि छठे भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हों तब यह जातक के पिता के लिए शुभ नहीं माना जा सकता है। जातक के पिता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हो सकती है। जातक के पिता को लंबी चलने वाली बीमारी परेशान कर सकती है। परंतु यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव में बुरी तरह पीड़ित हो तब जातक के पिता की मृत्यु या पिता से अलगाव जैसी परिस्थिति भी बन सकती है। जातक और जातक के पिता के मध्य उत्तम संबंध नहीं होते हैं। जातक और जातक के पिता के मध्य वैचारिक मतभेद हो सकते हैं। यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव में शुभ स्थिति में हो तब बुरे प्रभाव कम होते हैं। यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव में उत्तम बल के साथ शुभ स्थिति में हो तब जातक के पिता जज या जुडिशरी सिस्टम से संबंधित हो सकते हैं। जातक के पिता के पास काला धन हो सकता है या जातक के पिता के अनैतिक कार्यों से धन अर्जित करने की संभावना होती है।

4)छठा भाव मामा से संबंधित होता है। यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक के मामा भाग्यशाली व्यक्ति होते हैं। जातक अपने मामा से सहायता प्राप्त करता है।

5) नवम भाव विदेशी भूमि से संबंधित हो सकता है। यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक को अपनी मातृभूमि को छोड़कर जाना पड़ सकता है। जातक अपने रोजी रोजगार के लिए विदेश जा सकता है। यदि छठे भाव का स्वामी नवम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक विदेशी भूमि पर उत्तम प्रसिद्धि प्राप्त करता है।

6)नवम भाव भाग्य से संबंधित होता है। यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हों तब यह जातक के भाग्य के लिए उत्तम नहीं माना जा सकता है। जातक को अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। जातक का भाग्य स्थिर नहीं होता है। जातक का जीवन संघर्ष पूर्ण होता है। यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव में पीड़ित हो तब जातक दुर्भाग्य से पीड़ित रह सकता है। जातक की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है।

7)यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक धर्म के नाम पर अनैतिक कार्यों में लिप्त हो सकता है। जातक धर्म के नाम पर दिखावा करने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक धर्म के नाम पर धन अर्जित करने में लगा हुआ रह सकता है। यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक धर्म के नाम पर उत्तम धन अर्जित करेगा। जातक को तंत्र मंत्र और काले जादू जैसे विषयों की उत्तम जानकारी हो सकती है।

8) नवम भाव प्रसिद्धि का कारक भाव होता है। यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक की प्रसिद्धि उत्तम नहीं होती है। यदि छठा भाव का स्वामी बली हो तब जातक अपने बुरे कार्यो के कारण प्रसिद्ध हो सकता है।

9) नवम भाव गुरु संत या धार्मिक व्यक्ति से संबंधित होता है। यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक अपने गुरु का आदर नहीं करता है। जातक धर्मगुरुओं या धर्म का को नीचा दिखाने का प्रयास करता रहता है। जातक धार्मिक मान्यताओं में बहुत ज्यादा आस्था नहीं रखता है।

10) यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव में स्थित हो तब जातक आर्किटेक्ट या पत्थर या लकड़ी से संबंधित कार्य करता है। जातक भवन निर्माण से संबंधित कार्य कर सकता है। जातक एक अच्छा मूर्तिकार हो सकता है।

11) यदि छठा भाव का स्वामी नवम भाव के स्वामी के साथ नवम भाव में स्थित हो और बुरी तरह पीड़ित हो तब जातक के पिता को मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। जातक के पिता का स्वास्थ्य उत्तम नहीं होता है। जातक के पिता के बहुत सारे शत्रु हो सकते हैं। जातक के पिता को लंबा नुकसान लग सकता है। जातक अपनी पैतृक संपत्ति को खो सकता है। जातक को अपनी पैतृक संपत्ति में कानूनी अड़चन का सामना करना पड़ सकता है। जातक अपने पिता से शत्रुता रख सकता है। जातक का जीवन संघर्ष पूर्ण हो सकता है। जातक के जीवन में धन की कमी हो सकती है।

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