कुंडली के द्वादश भाव में षष्ठेश का प्रभाव

कुंडली के द्वादश भाव में षष्ठेश का प्रभाव

1) कुंडली के द्वादश भाव में षष्ठेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम छठे भाव और द्वादश भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। छठा भाव का स्वामी स्वयं के भाव से सप्तम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का सप्तम भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) सामान्यतः छठा भाव का स्वामी द्वादश भाव में शुभ नहीं माना जाता है, क्योंकि छठा भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब यह रोग, कर्ज और शत्रु पर व्यय का कारक होता है।

3) छठा भाव रोग का कारक होता है, द्वादश भाव व्यय का कारक होता है। यदि छठा भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब यह रोग और बीमारी पर खर्चे का कारक हो सकता है। जातक अनिंद्रा, अनियमित सोने की आदत ,नींद में चलने की बीमारी इत्यादि से परेशान रह सकता है। जातक बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती हो सकता है। जातक को पेट से संबंधित समस्या भी हो सकती है।

4) द्वादश भाव नशा का कारक होता है। छठा भाव अनैतिक गतिविधियों का कारक होता है। यदि छठा भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक अनैतिक और बुरी आदतों का शिकार हो सकता है। जातक के संस्कार अच्छे नहीं हो सकते है। जातक शारीरिक सुख के लिए अनैतिक मार्गों का चयन कर सकता है।

5) द्वादश भाव हानि का कारक होता है, छठा भाव शत्रु का कारक होता है। छठा भाव का स्वामी जब द्वादश भाव में स्थित हो तब जातक को शत्रु के द्वारा हानि की संभावना होती है।

6) यदि छठा भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित तो तब जातक में बदला लेने की प्रवृत्ति होती है। जातक आपने शत्रु के किसी भी कृत्य को माफ नहीं करता है। जातक का विद्वान व्यक्तियों के साथ विवाद होने की संभावना होती है। जातक कुतर्क करने वाला व्यक्ति हो सकता है। जातक झगड़ालू और हिंसक प्रवृत्ति का व्यक्ति हो सकता है। जातक जीव जंतु पर अत्याचार करने वाला व्यक्ति हो सकता है।

7) छठा भाव का स्वामी द्वादश भाव में स्थित हो विपरीत राजयोग का निर्माण करता है। इस योग का प्रभाव विमला योग के समान होता है।

8)यदि छठा भाव का स्वामी, द्वादश भाव के स्वामी के साथ द्वादश भाव में स्थित हो और शुभ स्थिति में हो तब यह एक अति उत्तम विपरीत राजयोग का निर्माण करता है। जातक अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करता है और जातक अपने जीवन में उत्तम धन अर्जित करता है। जातक अपने जीवन में सफलता भी प्राप्त करता है। यदि छठा भाव का स्वामी द्वादश भाव में शुभ स्थिति में नहीं हो तब जातक अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के परेशानियों का सामना करता है। जातक अवसाद, रोग, बीमारियों से पीड़ित रह तरह सकता है। जातक के शत्रु, जातक के लिए भारी हानि का कारक हो सकते हैं। जातक का स्वभाव अनैतिक होता है।

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