कुंडली के छठे भाव में सप्तमेश का प्रभाव

कुंडली के छठे भाव में सप्तमेश का प्रभाव

1) कुंडली के छठे भाव में सप्तमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम छठा भाव और सप्तम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। सप्तम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से द्वादश भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का द्वादश भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) छठा भाव सप्तम भाव से द्वादश होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी स्वयं से द्वादश भाव में स्थित हो तब यह द्वि द्वादश संबंध का निर्माण करता है, यजो कि शुभ नहीं माना जाता है। अतः सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव में हो तब विभिन्न प्रकार के अशुभ फल प्राप्त होने की संभावना होती है।

3) सप्तम भाव पत्नी से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक की पत्नी शारीरिक रूप से कमजोर हो सकती है। जातक की पत्नी विदेशी भूमि से संबंध रख सकती है, या विजातीय हो सकती है या जातक की पत्नी विदेशी कल्चर या ऐसा कल्चर जो जातक से संबंधित ना हो उसका अनुसरण कर सकती है। जातक की वाइफ का स्वास्थ्य उत्तम नहीं होगा। जातक की पत्नी को बीमारी के चलते हॉस्पिटल में भी भर्ती होना पड़ सकता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव में पीड़ित हो तब जातक की पत्नी की मृत्यु की भी संभावना होती है।

4) सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित तब जातक को पत्नी से अलगाव या तलाक का सामना करना पड़ सकता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव में बलि हो तब जातक की एक से अधिक विवाह होने की संभावना होती है और जातक की दोनों पत्नी जीवित रहती है।

5) सप्तम भाव काम त्रिकोण से संबंधित होता है। छठा भाव रोग और बीमारी तथा बुरी आदत से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक सेक्सुअल प्रॉब्लम का सामना करता है। जातक बुरी संगत और बुरी आदतों का शिकार हो सकता है। यदि कुंडली में शुक्र भी पीड़ित हो और किसी उभय लिंगी ग्रह के संपर्क में हो तब जातक शारीरिक रूप से सेक्सुअल मैटर में कमजोर हो सकता है या जातक को किसी भी प्रकार की सेक्सुअल बीमारी हो सकती है।

6) सप्तम भाव मारक स्थान होता है। छठा भाव दुःस्थान होता है और बीमारी से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब यह सप्तम भाव के मारक प्रभाव को बढ़ा देता हैं। जातक बीमारी के प्रभाव में आ सकता है। यदि सप्तमेश बुरी तरह पीड़ित हो तब जातक गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकता है और बुरी तरह पीड़ित होने के बाद पापी ग्रह के भी संपर्क में हो तब यह जातक की मृत्यु का कारण भी हो सकता है। जातक के एक्सीडेंट या दुर्घटना की भी संभावना होती है, जिसमें जातक के शारीरिक अंगों को क्षति पहुंचने की भी संभावना होती है। जातक शरीर का तापमान अधिक हो सकता है और जातक बुखार जैसी समस्या से परेशान रह सकता है।

7) छठा भाव शत्रु का कारक भाव होता है, छठा भाव कानूनी समस्या का भी कारक भाव होता है। सप्तम भाव जीवनसाथी या बिजनेस पार्टनर से भी संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी छठा भाव में हो तब जातक का अपनी पत्नी या बिजनेस पार्टनर से लीगल प्रॉब्लम हो सकता है। जातक और जातक की पत्नी के बाद मतभेद की भी संभावना होती है।जातक और जातक के पत्नी के मध्य शत्रुता जैसी परेशानी भी हो सकती है या एक दूसरे से नफरत भी कर सकते हैं। जातक अपने वैवाहिक संबंध में गलत आरोप-प्रत्यारोप का भी सामना कर सकता है। जातक की पत्नी जलनशील प्रवृत्ति की महिला होती है। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव में वैवाहिक जीवन की खुशियों को ग्रहण लगाता है।

8) छठा भाव ऋण से संबंधित होता है। सप्तम भाव प्रोफेशन से संबंधित होता है ।यदि छठा भाव मे सप्तम भाव का स्थित हो तब जातक अपने व्यापार में कर्जे से परेशान कर सकता है।

9)यदि सप्तम भाव का स्वामी, छठे भाव के स्वामी के साथ छठे भाव में स्थित हो तब यह एक अशुभ योग माना जाता है, क्योंकि एक दुःस्थान के स्वामी का मारक स्थान के स्वामी के साथ युति होना, दुः स्थान और मारक स्थान दोनों को बल प्रदान करता है। यह जातक और जातक की पत्नी के लिए मारक हो सकता है। यह जातक के मामा जी के लिए भी शुभ नहीं माना जा सकता है। जातक कर्जे से परेशान रह सकता है। जातक का अपनी पत्नी से कानूनी समस्या हो सकती है या विवाद हो सकता है। जातक का अपने बिजनेस पार्टनर से भी विवाद हो सकता है। जातक दूसरों के द्वारा छला जा सकता है या जातक चोरों से परेशान रह सकते हैं।

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