कुंडली के चतुर्थ भाव में नवमेश का प्रभाव

कुंडली के चतुर्थ भाव में नवमेश का प्रभाव

1) कुंडली के चतुर्थ भाव में नवमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम नवम भाव और चतुर्थ भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। नवम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से अष्टम भाव में स्थित है, अतः प्रथम भाव के स्वामी का अष्टम भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) नवम भाव भाग्य स्थान होता है। चतुर्थ भाव सुख स्थान होता है। अतः चतुर्थ भाव नवम भाव से अष्टम भाव होता है, चतुर्थ और नवम भाव एक दूसरे से षडाष्टक संबंध बनाते हैं। अगर हम संबंधों के हिसाब से देखें तो यह एक उत्तम संबंध नहीं है। परंतु नवम भाव और चतुर्थ भाव दोनों कुंडली के शुभ भाव है, यहां पर षडाष्टक संबंध होते हुए भी नवम और चतुर्थ का संबंध एक उत्तम संबंध माना जाएगा। साथ ही नवम भाव लक्ष्मी स्थान होता है, चतुर्थ भाव विष्णु स्थान होता है, अतः लक्ष्मी स्थान और विष्णु स्थान के बीच संबंध नैसर्गिक रूप से शुभ माना जाता है। नवम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब यह एक राजयोग की भांति शुभ प्रभाव देगा।

3) नवम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक चतुर्थ भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में भाग्यशाली होता है। चतुर्थ भाव सुख का कारक भाव होता है। जातक को सभी प्रकार के सुख-सुविधा के साधन प्राप्त होंगे। जातक को नौकर चाकर वाहन इत्यादि का सुख प्राप्त होगा। परंतु यदि नवम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में पीड़ित हो तब शुभ फलों में कमी होगी।

4) चतुर्थ भाव घर का कारक होता है। नवम भाव भाग्य स्थान होता है। यदि नवम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक को घर का सुख, प्रॉपर्टी का सुख और घरेलू सुख शांति की प्राप्ति होती है। जातक को पैतृक संपत्ति की प्राप्ति होती है। जातक रियल स्टेट से संबंधित कार्य कर कर उत्तम लाभ अर्जित कर सकता है।

5) यदि चतुर्थ भाव में नवम भाव का स्वामी स्थित हो तब जातक को उत्तम वाहन का सुख प्राप्त होता है। जातक को वाहन से उत्तम लाभ भी प्राप्त होता है।

6) चतुर्थ भाव मन का कारक भाव होता है, नवम भाव धर्म का कारक भाव होता है। यदि नवम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक धार्मिक विचारों वाला व्यक्ति होता है। जाति धर्म के ऊपर गहरी आस्था रखने वाला और धर्म के प्रति झुकाव रखने वाला व्यक्ति होता है। जातक धार्मिक गतिविधियों से भी धन अर्जित कर सकता है।

7) चतुर्थ माता से संबंधित होता है। यदि नवम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक की माता धार्मिक और भाग्यशाली महिला होती है। जातक का अपने माता के प्रति अति उत्तम लगाव होता है। नवम भाव पिता का कारक भाव होता है। अतः जातक को के माता-पिता की भी मदद भी उत्तम संबंध होते हैं।

8) नवम भाव यात्रा का कारक भाव होता है। चतुर्थ भाव घर का कारक होता है या मातृभूमि का कारक होता है। यदि नवम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक के लंबी दूरी की यात्रा संभव होती है। जातक धार्मिक यात्राओं पर जा सकता है।

9)चतुर्थ भाव शिक्षा से संबंधित होता है। नवम भाव उच्च शिक्षा से संबंधित होता है। यदि नवम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक को उच्च शिक्षा की प्राप्ति होती है। जातक अपने शिक्षा या एजुकेशन के लिए जन्म स्थान से दूर जा सकता है।

10)यदि नवम भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्थित हो तब जातक अपने समाज में प्रसिद्ध व्यक्ति हो सकता है। जातक की माता भी प्रसिद्ध महिला हो सकती है।

11)यदि चतुर्थ भाव का स्वामी नवम भाव के स्वामी के साथ चतुर्थ भाव में स्थित हो तब यह एक उत्तम राजयोग का निर्माण करता है। जातक के पास उत्तम घर होगा। जातक के पास उत्तम संपत्ति होगी। जातक को सभी प्रकार के सुख सुविधा की प्राप्ति होगी। जातक विद्वान व्यक्ति होगा। जातक की समाज में प्रसिद्धि उत्तम होगी। जातक को सरकार या प्रशासन का सपोर्ट मिलता रहेगा। जातक पब्लिक के मध्य पॉपुलर हो सकता है।

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