कुंडली के नवम भाव में द्वितीयेश का प्रभाव

कुंडली के नवम भाव में द्वितीयेश का प्रभाव

1)कुंडली के नवम भाव में द्वितीयेश का प्रभाव जानने से पहले हम नवम भाव और द्वितीय भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। द्वितीय भाव का स्वामी स्वयं के भाव से अष्टम स्थान में स्थित है। अतः प्रथम भाव के स्वामी का अष्टम भाव में क्या फल होता है हम इस के संदर्भ में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

2) द्वितीयेश नवम भाव में स्थित हो तब जातक स्वभाविक रूप से धन के मामले में भाग्यशाली होता है जातक धनी और समृद्ध व्यक्ति होता है।

3) नवम भाव धर्म का भाव होता हैं। यदि द्वितीयेश नवम भाव में स्थित हो तब जातक अपने धन का उपयोग धार्मिक क्रियाकलापों, धार्मिक यात्राएं, धार्मिक स्थानों की स्थानों के निर्माण, धार्मिक आयोजनों में करता है। जातक दानशील प्रवृत्ति का व्यक्ति होता है। जातक लोगों की मदद करने का इच्छुक रहता है।

4)नवम भाव पिता का भाव होता है। यदि द्वितीयेश नवम भाव में स्थित हो तब जातक का अपने पिता से अच्छा लगाव होता है। जैसा कि हम जानते हैं कि द्वितीयेश और नवम भाव एक दूसरे से षडाष्टक है। यदि द्वितीयेश नवम भाव में पीड़ित हो तब जातक के पिता को स्वास्थ्य से संबंधित समस्या या जातक का अपने पिता से अलगाव या जातक के पिता की मृत्यु की भी संभावना होती है।

5) द्वितीय नवम भाव में स्थित हो तब जातक का जीवन के प्रति भौतिकवादी झुकाव होता है। जातक सभी प्रकार के सांसारिक सुख को प्राप्त करता है। जातक सुखी और संपन्न व्यक्ति हो सकता है।

6) यदि द्वितीयेश नवम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक सही तरीके से और सामाजिक मान्यता के अनुसार धन अर्जित करता है।

7) नवम भाव प्रसिद्धि से संबंधित होता है। द्वितीय भाव नवम भाव से छठा होता है और षडाष्टक संबंध स्थापित करता है। यदि द्वितीय नवम भाव में स्थित हो तब जातक प्रसिद्ध होगा लेकिन उसकी प्रसिद्धि संदिग्ध होगी।

8) द्वितीय भाव प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित होता है। यदि द्वितीयेश नवम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक को उत्तम शिक्षा प्राप्त होती है। जातक के पास व्यवहारिक ज्ञान अच्छा होता है। जातक अध्यात्म और धर्म के ज्ञान का मर्म समझने वाला व्यक्ति को सकता है। जातक को धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों का अच्छा ज्ञान हो सकता है।

9) द्वितीय नवम भाव में स्थित हो तब हम कह सकते हैं कि, जातक के पिता अनैतिक रूप से धन अर्जित करेंगे। जातक के पिता धनी होंगे।

10) नवम भाव लंबी यात्राएं से संबंधित होता है। यदि द्वितीयेश नवम भाव में स्थित हो तब जातक लंबी दूरी की यात्रा कर धन अर्जित करेगा। जातक अपने पिता से धन प्राप्त करेगा या जातक अपने पिता की सहायता से धन अर्जित करेगा।

11)यदि द्वितीयेश नवम भाव में नवम भाव के स्वामी के साथ स्थित हो तब यह एक उत्तम धन योग का निर्माण करता है। जातक के पिता भाग्यशाली और धनी व्यक्ति होंगे। जातक नैतिक तरीके से धन अर्जित करेगा। जातक विद्वान व्यक्तियों से संबंध रखने वाला व्यक्ति होगा। जातक विद्वान होगा। जातक को मंत्रों का ज्ञान या भाषण देने की कला अच्छी हो

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