Upgrah

गुलिक का परिचय और गुलिक के द्वादश भावों के फल

गुलिक का परिचय और गुलिक के द्वादश भावों के फल गुलिक शनि का उपग्रह है। इसे शनि के समान ही पापी ग्रह या पापी उपग्रह माना जाता है। पराशर मत के अनुसार गुलिक और मांदी एक है। ज्योतिष के प्रसिद्ध पुस्तक फलदीपिका के अनुसार गुलिक बहुत ही पापी उपग्रह है। गुलिक जिस राशि में या […]

गुलिक का परिचय और गुलिक के द्वादश भावों के फल Read More »

कुंडली के विभिन्न भागों में उपकेतु का प्रभाव

कुंडली के विभिन्न भागों में उपकेतु का प्रभाव उपकेतु का परिचय पुच्छल तारा, इसके बारे में हममें से प्रत्येक व्यक्ति जानता होगा। ऐसा संभव है बहुतों ने ना देखा हो, लेकिन नाम तो सुना ही होगा। पुच्छल तारे आसमान में बहुत ही सुंदर दिखता है। उप केतु को इसी पुच्छल तारा या धूमकेतु का पिछला

कुंडली के विभिन्न भागों में उपकेतु का प्रभाव Read More »

कुंडली के विभिन्न भागों में इंद्र चांपा का प्रभाव

कुंडली के विभिन्न भागों में इंद्र चांपा का प्रभाव इंद्र चांपा या इंद्रधनुष या चांपा का परिचय एवं विभिन्न भागों में प्रभाव इंद्रचापा, इंद्रधनुष या चापा के नाम से भी जाना जाता है। फलदीपिका के अनुसार बारिश के मौसम में दिखाई देने वाला प्रसिद्ध इंद्रधनुष कि इंद्रचापा या चापा है। कुंडली के जिस भाग में

कुंडली के विभिन्न भागों में इंद्र चांपा का प्रभाव Read More »

परिवेश या परिधि का परिचय और विभिन्न भावों में प्रभाव

परिवेश या परिधि का परिचय और विभिन्न भावों में प्रभाव परिधि या परिवेश एक अप्रकाशक उपग्रह होता है। अन्य अप्रकाशक उपग्रह के तरह यह भी स्वभाव से पापी होता है। फलदीपिका के अनुसार परिवेश जिस भाव में विराजित होता है, उस भाव से संबंधित कारक को जल या जल से संबंधित दोष के कारण या

परिवेश या परिधि का परिचय और विभिन्न भावों में प्रभाव Read More »

कुंडली के विभिन्न भागों में व्यतिपात का प्रभाव

कुंडली के विभिन्न भागों में व्यतिपात का प्रभाव व्यतिपात का परिचय व्यतिपात एक अप्रकाशक ग्रह होता है। स्वभाव से इसे पापी ग्रह के समान माना जाता है। फलदीपिका के अनुसार व्यतिपात गिरते हुए तारे या फॉलिंग स्टार से संबंधित होता है। ऐसी मान्यता है कि व्यतिपात जिस भाव में होगा उस भाव के कारकों को

कुंडली के विभिन्न भागों में व्यतिपात का प्रभाव Read More »

कुंडली में धूम का विभिन्न भावों में प्रभाव

कुंडली में धूम का विभिन्न भावों में प्रभाव धूम, व्यतिपात, इंद्रचांपा, परिवेश और उपकेतु, यह पांच अप्रकाशित ग्रह है। पराशर मुनि ने अप्रकाशित ग्रहों की महत्ता इस प्रकार बताइए कि हमें सूर्यादि प्रकाशक ग्रह के प्रभाव जाने से पहले हमें अप्रकाशक ग्रहों की फल के संदर्भ में जानकारी लेनी चाहिए। तब इनका मिलान प्रकाशक ग्रहों

कुंडली में धूम का विभिन्न भावों में प्रभाव Read More »

Scroll to Top