हम तारा मिलान क्यो करते है
कुंडली मिलान भाग – 5
पिछले अंक मे हमने वश्य मिलान के बारे मे जानकारी प्राप्त की।
तारा मिलान अष्टकूट मिलान की तृतीय कूट मिलान है। तारा मिलान मे हम जातक और जातिका के जन्मनक्षत्र की आपस मे सहजता का मिलान करते है। जैसा कि हम सभी जानते है जन्मकुंडली मे चंद्रमा जिस नक्षत्र विशेष मे अवस्थित होता है वह नक्षत्र विशेष जातक का जन्म नक्षत्र होता है। जातक के जन्म नक्षत्र का जीवन मे गहरा प्रभाव होता है। जातक का जन्म नक्षत्र, व्यवहार, जीवन शैली, विशोंतरी दशा का संकेत देते है।
विवाह मे मानसिक व्यवहार का मिलना और एक दूसरे के प्रति सहज होना आवश्यक है। अन्यथा यह मानसिक तनाव और विवाह मे मानसिक प्रेम मे कमी लाता है।
जन्म नक्षत्र से गिनती करने पर
1st नक्षत्र जन्म तारा कहा जाता है
2nd नक्षत्र संपत तारा कहा जाता है
3rd नक्षत्र विपत्त तारा कहा जाता है
4thनक्षत्र क्षेम तारा कहा जाता है
5th नक्षत्र प्रत्यारी तारा कहा जाता है
6th नक्षत्र साधक तारा कहा जाता है
7th नक्षत्र वीं बाधा तारा कहा जाता है
8th नक्षत्र मित्र तारा कहा जाता है
9th नक्षत्र अतिमित्र तारा कहा जाता है।
अब 10th नक्षत्र 1st के रूप में माना जाता है
11th नक्षत्र 2nd नक्षत्र
…………… ..
27th नक्षत्र 9th नक्षत्र है।
इसप्रकार नक्षत्र के 3 सेट मिलता है। इस सेट को अन्य जगह भी उपयोग किया जाता है।
विपत्त तारा, प्रत्यारी तारा और बाधा तारा को जातक के लिए अशुभ माना जाता है। तारा मिलान के लिए जातक और जातिका के जन्म नक्षत्र से अलग अलग सारणी उपरोक्त विधी द्वारा बना ले।
1 | जन्म तारा | 1st | 10th | 19th |
2 | संपत तारा | 2nd | 11th | 20th |
3 | विपत्त तारा | 3rd | 12th | 21th |
4 | क्षेम तारा | 4th | 13th | 22th |
5 | प्रत्यारी तारा | 5th | 14th | 23th |
6 | साधक तारा | 6th | 15th | 24th |
7 | बाधा तारा | 7th | 16th | 25th |
8 | मित्र तारा | 8th | 17th | 26th |
9 | अति मित्र | 9th | 18th | 27th |
यदि जातक जातिका के जन्म नक्षत्र एक दूसरे के सारणी मे विपत्त, प्रत्यारी या बाधा तारा हो तो यह तारा दोष का निर्माण करते है, यह अशुभ माना जाता है।
यदि आप इस लम्बी विधी से बचना चाहते है तो सरल विधी है कि आप वर के जन्म नक्षत्र से गिनती की शुरुआत करते हुए कन्या नक्षत्र तक जाए और कन्या के नक्षत्र से वर के नक्षत्र तक गिनती करे यदि दोनो से 3rd, 5th, 7th नक्षत्र हो तो तारा दोष का निर्माण करते है। जब गिनती 9 से अधिक हो तो 9 से भाग दे और शेष को मिलान करे।
तारा मिलान मे अंक आंवटन नीचे दिये गये सारणी के अनुरुप करे।
तारा वर —> कन्या … V | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
1 | 3 | 3 | 1.5 | 3 | 1.5 | 3 | 1.5 | 3 | 3 |
2 | 3 | 3 | 1.5 | 3 | 1.5 | 3 | 1.5 | 3 | 3 |
3 | 1.5 | 1.5 | 0 | 1.5 | 0 | 1.5 | 0 | 1.5 | 1.5 |
4 | 3 | 3 | 1.5 | 3 | 1.5 | 3 | 1.5 | 3 | 3 |
5 | 1.5 | 1.5 | 0 | 1.5 | 0 | 1.5 | 0 | 1.5 | 1.5 |
6 | 3 | 3 | 1.5 | 3 | 1.5 | 3 | 1.5 | 3 | 3 |
7 | 1.5 | 1.5 | 0 | 1.5 | 0 | 1.5 | 0 | 1.5 | 1.5 |
8 | 3 | 3 | 1.5 | 3 | 1.5 | 3 | 1.5 | 3 | 3 |
9 | 3 | 3 | 1.5 | 3 | 1.5 | 3 | 1.5 | 3 | 3 |
जैसा कि उपरोक्त सारणी से स्पष्ट है, यदि वर और वधु दोनों के जन्म नक्षत्र एक दूसरे से तीसरा, पांचवां, और सातवां हो, तब तारा दोष का निर्माण होता है तारा दोष की परिस्थिति में विवाह को वर्जित माना गया है। क्योंकि तारा दोष होने के कारण जातक और जातिका के भाग्य एक दूसरे को सपोर्ट नहीं करेंगे और दोनों एक दूसरे को शारीरिक और मानसिक कष्ट का कारण बन सकते हैं। कुंडली मिलान के अतिरिक्त भी इस नवतारा चक्र का उपयोग हम पार्टनरशिप में सपोर्ट के लिए या अपने सहकर्मी को भर्ती करने के लिए या किसी के साथ व्यापार करने के लिए भी कर सकते हैं। यदि दो व्यक्तियों के तारा एक दूसरे से तीसरे पांचवें और सातवें हो तो निश्चित ही यह एक शुभ स्थिति नहीं होती है।